कबीर के पद
प्रश्न 1. अरे इन दोहून राव न पाई से कबीर का क्या आशया है /और वे किस राह की बात कर रहे है ?
उत्तर .. कबीर जी इस पंक्ति में हिन्दुओ और मुसलमानों के लिए बोल रहे हैं उनका अर्थ है की ये दोनों धर्म अडबरोमें उलझे हुए है इनमे सच्ची भक्ति का अर्थ नही मालूम है धार्मिक आडबारो को धर्म मानकर चलते है कबीर के अनुशार ये दोनों भटके हुए है /
प्रश्न 2. इस देश में अनेक धर्म जाती , मजहता और सम्प्रदाय के लोग रहते है किन्तु कबीर हिन्दू और मुस्लमान की ही बात क्यों करते हैं
उत्तर क्योंकि हिन्दू और मुसलमान धर्म विधमान थे जैन बोध धरम आदि हिन्दू धर्म की शाखाय थे कबीर जी ने एक सेख वैसे भी इनमे मतभेद नही हुआ करती थी हिन्दू और मुस्लमान में मतभेद हुआ करते थे /
प्रश्न 3.हिन्दुओ की हिन्दुआइन देखी तुर्की की तुरकाई माध्यम से कबीर क्या कहना चाहते हैं ? वे उनकी किन विशेषताय की बात कर रहे है ?
उत्तर.. कबीर जी कहते हैं की हिन्दू किसी को भी अपने बर्तन नही छूने देते हन्दू वेश्या के चरणों के दास बने रहते है मुस्लमान जीव हत्या करता हैं व मिलकर खाते हैं यह कैसी भक्ति हैं
प्रश्न 4 .को राह है जाई का पछ कबीर के सामने भी थी क्या इस तरह का प्रश्न आज इस समाज में मोजूद हैं उधारण सहित स्पष्ट कीजिये ?
उत्तर.. यह प्रश्न बड़ा जटिल हैं प्राचीनकाल से लेकर आज भी मनुष्य दुविधा में फसा हुआ है की किस राह को आपनाये आपके समाज में यह प्रश्न बिध्मान थे भारत जैसे देशो में तो हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई बोध जैन धर्म विधमान है
प्रश्न 5.बालम आहो हामरे रोह रे में कवी किसका आहन कर रहा है ?
उत्तर .. प्रस्तुत पंक्ति में कबीर की भगवान का आहन कर रही है वे अपने भगवन का दर्शन के प्यासे है/ अपने भगवान के लिए उन्हें अपने पास बुला रहे हैं
प्रश्न 6. अब्र न भावे नींद न आवे का क्या कारण है ऐसी स्तिथि क्यों हो गई हैं /
उत्तर .. उनके लिए उनके भगवन ही सबकुछ हैं कबीर जी भगवन को खुद का पति और खुद को उनकी पत्नी मान रहे है कबीर जी अपने भगवन के मिलने के प्यासे हैं इसलिए उनको भोजन अच्छा नही लगता नींद नही आती
प्रश्न 7. कामिन को हैं बालम प्यार , जो प्यासे को नीर रे से कवी का क्या आशया है ? स्पस्ट कीजिये
उत्तर .. कबीर कहते हैं की ओरत को आपना बालम प्यारा होता हैं / प्यासे व्यक्ति को पानी प्यारा होता हैं / इसे ही भक्त को भगवन प्यारा होता है कबीर को अपने भगवन प्रिय हैं
प्रश्न 8. कबीर निर्गुण संत परम्पश के कवी हैं और यह पद नालम आवो हमारे गेह रे साफार प्रेम की और संकेत करता हैं / इस सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए /
उत्तर ..प्रेम कभी साकार व निराकार नही होता तो वस प्रेम होता है जो मनुष्य को अनद की प्राप्ति है अंत वह बालम अवे आवे हमारे गहरे में वह अपने इस्वर की प्रेमी व पति के रूप में लेते है
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