तिन महादिपो में फैला सामराज्य class 11 chapter 3 History

 

तिन महादिपो में फैला सामराज्य ...

बच्चो आज हम एपिसोड 3 यानि तीसरा chapter करने वाले है अगर आपने 1 और 2 chapter नही पढ़ा तो इस वेबसाइट से पढ़ लीजिये क्योकि यह आपके लिए जरुरी है ...

यह आपको जानना बहुत जरुरी है की हम तिन महादिपो में फैला साम्राज्य में क्या पढेंगे ...

. इसमें हम रोम साम्राज्य, वर्ष वृतांत, पैपाइरस, तीसरा शताब्दी का संकट, दस प्रजनन आदि के बारे में पढेंगे चलिए सुरु करते है ...

. रोम सामराज्य

आज के समय में यूरोप, पक्शिम एशिया, और उत्तरी अफ्रीका का हिस्सा शामिल है

. रोम स्मराज्य का फैलाव तिन महादिपो से हुआ :-

यूरोप

पक्शिम एशिया

उत्तरी अफ्रीका

. रोम सामराज्य के जानकारी के स्रोत :-

सामग्री जिसे तिन वर्गों में विभजित किया गया है :-

.पाठ्य सामग्री :-

वर्ष वृतांत

पत्र

व्याख्यान

प्रवचन

कानून

. प्रलेख या दस्तावेज :-

पैपाइरस पर लिखे गये थे

. भौतिक अवशेष :-

इमारते

बर्तन

सिक्के

. वर्ष वृतांत किसे कहते है :-

समकालीन व्यक्तियों द्वारा प्रतिवर्ष लिखे जाने वला इतिहास के ब्योरे को वर्ष – वृतांत कहते है

. पैपाइरस :-

पैपाइरस एक सरकंडे जैसा पोधा था जो नील नदी के किनारे उगा करता था इससे लेखन सामग्री तैयार की जाती थी |

. रोमन सामराज्य का आरंभिक काल :-

रोम सामराज्य में 509 इं पूर्व से 27इं पूर्व तक गणतंत्र शासन व्यवस्था चली

प्रथम सम्राट आगस्टक 27 इं पूर्व में आगस्टक ने गणतंत्र शासन वयस्था का तख्ता पलट दिया और सवयं सम्राट बन गया उसके राज्य को प्रिंसिपेट कहा गया वह एक प्रमुख नागरिक के रूप में था निरंकुश शासन नही था

. रोमन साम्राज्य के राजनितिक इतिहास के तिन प्रमुख खिलाडी :-

सम्राट , अभिजात वर्ग, और सेना

. मध्य काल ( तीसरा शताब्दी का संकट ) :-

प्रथम और द्रितिये शताब्दिया – सन्ति समिरुध और आर्थिक विस्तार की प्रतीक थी

तीसरा शताब्दी में तनाव उभरा | जब ईरान के ससानी वंश के बार – बार आक्रमण हुए | इस बिच जर्मन मुलक कि जनजातीय ( फ्रेच एलमन्नाई और गोथ) ने रोमन सामराज्य के विभिन्न प्रान्तों पर कब्ज़ा कर लिया जिससे सामराज्य में आस्थिरता आई

47 वर्ष में 25 सम्राट हुए इसे तीसरी शताब्दी का संकट कहा जाता है ...

. परवर्ती पूरा काल :-

चोथी से सातवी शताब्दी :- dayokalishiyan का शासन 284 से 305 इं

. कान्सटेनटाइन शासक :-

इसाई धर्म राज धर्म

सालिड्स सोने का सिक्का

कुस्तुन्तुनिया राजधानी

व्यापार विकाश

स्थाप्य कला

. रोमन सामराज्य में लिंग साक्षरता संस्कृति :-

एकल सामराज्य का परिवार में चलन

महिलाओ को अछि स्तिथि सम्पति में स्वामित्व व् संचालन में कानूनी अधिकार होना कामचलाऊ साक्षरता होना

संस्कृति विविधता होना

. रोमन सामराज्य का विस्तार :-

रोम सामराज्य का आर्थिक आधारभूत ध्चा काफी मजबूत था

बंदरगाह, खाने, खदाने, इट के भट्टे जेतून का तेल के कारखाने आधिक मात्र में व्याप्त होना

अशाधारण उर्वरता के छेत्र होना

तरल पधार्थो की दुलाई जिन कंटेनरों में की जाती थी उन्हें एम्फोरा कहा जाता था

स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल ड्रेसल – 20 नमक कंटेनरों में ले जाया जाता था

. रोमन सामराज्य में क्षमिको पर नियंत्रण :-

दस्ता की मजबूत जड़े पुरे रोमन सामराज्य में फैली हुई थी

इटली में 75 लाख आबादी में से 30 लाख दासो की संख्या थी

दासो की पूंजी निवेश का दर्जा प्राप्त था

उच्च वर्ग के लोगो द्वारा क्षमिको अथवा दासो से क्रुवार्तापूर्ण वयवहार किया जाता  है

ग्रामीण लोग श्रणग्रसता से जूझ रहे है

रोमन सामराज्य में सामाजिक श्रनिया प्रारंभिक राज्य :-

सेनेटर, अश्वारोही, जनता का सम्मानित वर्ग, फूहड़ निम्नतर वर्ग, दास, परवर्ती काल, अभिजात वर्ग, मध्य वर्ग और निम्नतर वर्ग, भ्रस्ताचार और लूट ख्टोस

अगर आपको अभी तक अच्छा लगा तो कमेंट जरूर करे

. रोम सामराज्य में पुराकाल की विशेषताय :-

रोमवासी बहुद्देवासी थे लोग जुपिटर, जूनो, मिनर्वा मार्स जैसे देवी देवता की पूजा करते थे

यहूदी धर्म रोमन सामराज्य का एक अन्य बड़ा धर्म था

सम्राट दयोक्लिशियन द्वारा सीमओं पर किले बानवे गये

सम्राट कान्स्टेंटाइन ने इसाई धर्म को राजधर्म बनाए का निर्णय लिया

प्रान्तों का पुनर्गठन करना

सेनिक और असेनिक कार्यो को अलग करना

इस्लाम का विस्तार :- प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनितिक क्रांति |

. रोमन सामराज्य में सेनिक प्रबंध की विशेषताएं

रोम सेना राजनीती की महत्वपूर्ण संस्था

व्यवसाइक सेना

सेवा करने की अवधि निश्चित होना

सबसे बड़ा एकल निकाय

सेनेट में सेना का डर

मतभेद होने पर गृह्युध्ह

आन्दोलन व् विद्रोह

शासक अथवा सम्राटो का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति

. दास प्रजनन:-

गुलामो की संख्या बढाने की एक एसी प्रथा थी जिसके अंतर्गत दसियों और उनके साथ मर्दों को अधिकाधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था और उनके बच्चे भी आगे चलकर दास ही बनते थे

अगर आपको क्लास 11 की किसी भी subject चाहिए तो आप इस वेबसाइट से ले सकते है

. दास श्रमिको के साथ समस्याए :-

रोम में सरकारी निर्माण कार्यो पर, स्पस्ट रूप से मुक्त श्रमिक का व्यापक प्रोयोग किया जाता है क्योकि दास श्रम का बहुतायत प्रोग बहुत महंगा पड़ता था

भाड़े के मजदूर के विपरीत गुलाम श्रमको को वर्ष भर रखने के भोजन देना पड़ता था और उनके अन्य खर्चे भी उठाने पड़ते थे

वेतनभोगी मजदूर सस्ते तो पड़ते थे और उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जाता था

. रोमन सामराज्य में श्रम प्रबंध की विशेषताए :-

दास श्रम मेहेंगा होने के कारन दासो को मुक्त किया जाने लगा

अब इन दासो या मुक्त व्यक्तियों को व्यापार प्रबधक के रूप में प्रयोग किया जाने लगा

श्रमिको के छोटे छोटे समूह बनाये गये थे जिससे यह पता लगाया जा सके की कोण काम कर रहा है और कोण काम चोरी

. अशरोही और नाइट्स वर्ग की विशेषताए

सेनेटर की तरह अधिकतर नैट्स जमींदार होते थे

यह सेंट्रो के विपरीत उनमे से कई लोग लोग जहाजो के मालिक व्यापारी और साहूकार थे यानी व्यापारिक क्रियाकलापों में संग्लन रखते थे

इन्हें जनता का सम्मानिये वर्ग भी माना जाता था |जिसका सम्बन्ध माहन घरानों से था

क्लास 11 की सारी नोट यहाँ मिलेगी



 

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