इस्लाम का उदय और विस्तार class 11 chapter 4 History

 

इस्लाम का उदय और विस्तार ...

बच्चो आज हम chapter 4 पढने वाले है और इस्लाम का उदय में क्या – क्या चिझे पढनी है देखे ...

इसमें हम इस्लाम इतिहास, मुस्लिम समाज, अरबी समाज,पैगम्बर मोहमद के बारे में और भी खिलाफत आदि के बारे में पढेंगे ...

. मुस्लिम समाज की सुरुआत :-

आज से 1400 वर्ष  पहले हुई इनका मूल छेत्र मिश्र से अफगानिस्तान तक का विशाल छेत्र है इसी छेत्र के समाज व संस्कृति के लिए इस्लाम का प्रयोग किया जाता है

. अरबी समाज और उनकी जीवन शैली :-

अरब के लोग कबीलों में बसे थे ये खानाबदोसी जीवन व्यतीत करते थे

इस्लाम के उदय से पहले 7 वि शताब्दी में अरब सामाजिक, राजनितिक, आर्थिक व् धार्मिक रूप से काफी पिछड़ा था

इस्लाम के उदय से पहले, एक खानाब्दोस जनजाति बेडोस में अरब का वर्चस्व था

प्रतियेक काबिले के अपने देवी देवता हुआ करते थे | मक्का में स्तिथ काबा वह का मुख्या धर्म स्थल था जिससे सभी मुसलमान इसे पवित्र मानते थे

प्रतियेक काबिले का नेतृत्व एक सेख द्वारा एक शेख द्वारा किया जाता था जो कुछ हद तक पारिवारिक संबंधो के आधार पर लेकिन ज्यादातर व्यक्तिगत साहस, बुद्धिमता और उदारता के आधार पर चुना जाता है

उनका खाद्य मुख्यत खजूर था

वह के कुछ लोग शहरो में बस गये थे और व्यापर एवं खेती का काम करते थे

. पैगम्बर हजरत मोहमद और इस्लाम :-

612 इ में पैगम्बर मोह्हमद ने अपने आपको खुदा का संदेशवाहक घोषित किया 622 ई. में पैगम्बर मोह्हमद और इनके अनुयायियों के मक्का के समृद्ध लोगो के विरोध के कारन मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा इस यात्रा को हिजरा कहा गया और इसी 622 ई. वर्ष से मुस्लिम केलेंडर यानि हिजरी सन की सुरुआत

पैगम्बर मोह्हमद को विश्व इतिहास के सबसे महान व्यक्तियों में से एक माना गया है उनका जन्म 570 में मक्का में हुआ

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पैगम्बर मोह्हमद शाहब का कबीला कुरेश था जो मक्का में रहता था तथा वहाके मुख्य धर्मस्थल काबा पर उसका नियंत्रण था

पैगम्बर मोह्हमद ने मदीना में एक राजनितिक व्यवस्था की | अब मदीना इस्लामी राज्य की प्रसासनिक राजधानी तथा मक्का धार्मिक केंद्र बन गया था थोड़े ही समय में अरब प्रदेश का बड़ा भू – भाग इनके अधीन हो गया

. इस्लाम में अल्लाह की इबादत की सरल विधिया :-

 देनिक प्राथना 5 वक्त की नमाज और नैतिक सिधांत – जैसे खैरात बतना एवं चोरी न कारना

. इस्लाम के पाच इस्तंभ :-

 राइमा

नमाज

रोजा

जकात

हज को याद करना इस्लाम के पाच स्थम्ब है

. पैगम्बर मोह्हमद का देहांत :-

सन 632 ई. में पैगम्बर मोह्हमद का देहांत हो गया था

. काबा :-

काबा एक घनाकार ढाचा वाला अरबी समाज का धार्मिक स्थल था इसे ही काबा खा जाता था जो मक्का में स्तिथ था

काबा एक ऐसी पवित्र जगह मन जाता है जहा हिंसा वर्जित थी और सभी द्रशनातियो को सुरक्षा प्रदान की गई थी

. हिजरा :-

इस्लाम के सुरुआती दिनों में पैगम्बर मोह्हमद का मक्का और उसके इबादतगाह पर कब्ज़ा था मक्का के समृद्ध लोग जिन्हें देवी देवता का ठुकराया जाना बुरा लगता था और जिन्होंने इस्लाम जैसे नए धर्म को मक्का की प्रतिस्ता और समिरिधि के लिए खतरा समझे थे उन लोगो ने पैगम्बर मोह्हमद का जबरदस्त विरोध किया जिससे वे उनके अनुयायियों को मक्का छोड़कर जाना पड़ा उनकी इस यात्रा को हिजरा कहा जाता है

. पैगम्बर मोह्हमद द्वारा द्वारा इस्लाम की सुरक्षा :-

किसी धरम का जीवित रहना उस पर विश्वास करने वाले लोगो के जिन्दा रहने पर निर्भर करता है इसलिए पैगम्बर मोह्हमद ने निम्नलिखित तिन तरीको से इस्लाम और मुसलमान की मदद की

इस समुदाय के लोगो को आंतरिक रूप से मजबूत बनाया और उन्हें बाहरी खतरों से बचाया

उन्होंने सुधिकरण और सुरछा के लिए मदीना में राजनेतिक व्यवस्था बनाया

उन्होंने सहर में चल रही कलह को सुलझाया और उम्मा को एक बड़े समुदाय के रूप में बदला

. हजरत मोह्हमद की प्रमुख सिक्षाये

प्रतिये मुसलमान को इस बात पर विश्वास रखना चाहिए की अल्लाह एक प्रमुख पुजनिये है और पैगम्बर मोह्हमद उनके पैगम्बर है

. खिलाफत की सुरुआत :-

सन 632 ई. में पैगम्बर मोह्हमद का देहांत हो गया और अगले पैगम्बर की वैधता के आभाव में राजनितिक सत्ता उस्म को अंतरित कर दी गई इस तरह खिलाफत संस्था का आरम्भ हुआ समुदाय का नेता पैगम्बर का अथार्थ खलीफा बन गया

. खिलाफत के दो प्रमुख उद्देश्य :-

  काबिले पर नियंत्रण कायम करना जिससे मिलाकर उम्मा का गठन हुआ

राज्य के लिए संस्था जुटाना

. पहले चार खालिफाये :-

हजरत अब्बुकर

हजरत उमर

हजरत उस्मान

हजरत अली

खिलाफत का अंत  :-

सन 632 ई के बाद जब हजरत मोह्हमद ,की मृत्यु हो गई तन चार खलीफाओ ने सुज्जित किया चोथे हजरत अली के हत्या के बाद खिलाफत को समाप्त कर दिया गया

उमययद् यांश की स्थापना :-

उमययद् यांश की स्थापना 661 में मुआविया ने की थी इस राजवंश का शासन 750 तक जारी रहा इसके बाद आबसिदास सत्ता आया

. उम्मयद शासन की विशेषताए :-

इनके सेनिक वफादार थे

उन्होंने अपनी अरबी सामाजिक पहचान बनाये रखी

यह खिलाफत पर आधारित शासन नही था अपितु यह राजतन्त्र पर आधारित था

उन्होंने वंशागत उतराधिकारी परम्परा की सुरुआत की

उमय्यद वंश का अंत :-

दावा नमक एक सुनियोजन आन्दोलन ने उम्ययद वंश को 750 ई में उखाड़ फेका

. अब्बासी वंश की सुरुआत :-

750 ई उमय्यद वंश के अंत के बाद अब्बासी की नीव रखी जिन्होंने बगदाद को राजधानी बनाया सेना और नोकरशाही को पुनर्गठन किया इस्लामी संस्थाओ और विद्वानों को संरक्षण पर्दान किया अब्बसियो के अंतर्गत अरबो के प्रभाव में जीरवा आई जबकि ईरान संस्कृति का महत्व बढ़ गया

. अब्बासी क्रांति :-

 उमय्यादो के शासन को अब्बासियो में दुष्टों का शासन बताया और यह दावा किया की वे पैगम्बर मोहमद के मूल इस्लाम की पुनास्थ्रापना करेंगे अब्बसियो ने एक दवा नमक आन्दोलन चलाकर उम्य्य्द वंश के इस शासन को उखाड़ फेका    

. अब्बासी क्रांति के कारन :-

अरब सेनिक अधिकाषित जो ईरान से आये थे वे सीरिआइ लोग के प्रभित नाराज थे

उम्य्यादो ने अरब नागरिको से करो में रियायतों और विशेषधिकार देने के वायदों को पूरा नही किया था

. अब्बसियो की विशेषताए :-

अब्बासी शासन के अंतगत अरबो के प्रभाव में गिरावट आई इसके विपरीत ईरानी संस्कृति का महत्व बढ़ गया

अब्बासी राज्य का अंत :-

9 वी शताब्दी में अब्बासी का पतन देखा गया

. धर्मयुद्ध :-

इसाई जगत और इस्लामी जगत के बिच शत्रुता बढ़ने लगी जिसके कारन आर्थिक में परिवर्थन था 1095 में पुण्यभूमि को मुक्त करने के लिए इश्वर के नाम पर जो युद्ध 1095 से 1291 ई. के बिच लाडे गये

 . तिन धर्मयुद्ध पवित्र भूमि को मुक्त करने के लिए

इसाई एवं इस्लाम इस पवित्र भूमि का नाम ( जेरुसलम ) था

प्रथम धर्मयुद्ध – 1098 से 1099 ई. तक

दृतिये धर्मयुद्ध – 1145 से 1149

तीसरा धर्मयुद्ध – 1189 से

कागज़ चीन से आया था कागज़ के आविष्कार के बाद इस्लामी जगत में लिखित रचनाओ का व्यापक रूप से प्रोयोग होने लगा ...


और भी नोट्स चाहिए क्या वेबसाइट पर सर्च करो ...



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