लेखन कला और सहरी
जीवन ...
बच्चो आज हम क्लास
11 history का दूसरा चैप्टर कर रहे है अगर आपने पहला चैप्टर नहीं देखा है तो इस
वेबसाइट से देख लीजिये जैसा की मैंने बोला था की क्लास 11 की history को हम एपिसोड
की तरह पढेंगे क्योकि इसमें सुरु से अंत तक बताया गया है आपको जानना जरुरी है ...
चलो सुरु करते है
इसमें हम क्या
पढेंगे यह जानना बहुत जरुरी है ...
लेखन कला और सहरी
जीवन इसमें हम मेसोपोटामिया, मेसोपोटामिया की भाषा, मेसोपोटामिया की भोगोलिक
स्तिथि, मेसोपोटामिया की कृषि और जलवायु, मेसोपोटामिया के मंदिर के बारे में
जानेंगे ...
अभी आपको कुछ समझ
नही आया होगा लेकिन जैसे आप पढ़ते जायेंगे आपको सब समझ आने लगेगा...
. मेसोपोटामिया का
अर्थ :-
यह सब्द यूनानी भाषा
के दो सब्दो “मेसो” यानि मध्य “पोटमिया” यानि नदी से मिलकर बना है मेसोपोटामिया
दजला और फरात नदियों के बिच में स्तिथ उपजाऊ जमीं है
मेसोपोटामिया :-
दजला और फरत के बिच
स्तिथ ये प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है | शहरी जीवन की सुरुआत मेसोपोटामिया
से हुई थी | मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी सपन्नता सहरी जीवन, विशाल एवं समृध
साहित्य, गणित और खगोल विद्या के लिए प्रसिद्द है ..
. मेसोपोटामिया की
एतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्रोत ...
इमारते, मुर्तिया, कब्रे,
आभुसन, ओजार, मुद्राय, मिटटी की पथिकाय तथा लिखित दस्तावेज
. मेसोपोटामिया की
भाषा ...
इस सभ्यता में सबसे
पहले सुमेरियन भाषा उसकेबाद अक्क्दी भाषा और बाद में अरमाईक भाषा बोली जाती थी
1400 इं पूर्व धीरे –
धीरे अर्माइक भाषा का प्रवेश हुआ ये हीब्रू भाषा से मिलती जुलती थी और 1000 इं
पूर्व के बाद ये व्यापक रूप से बोली जाने लगी और आज भी ईराक के कुछ हिस्सों में
बोली जाती है
. मेसोपोटामिया की
भोगोलिक स्तिथि :-
यह छेत्र आजकल इराक
गणराज्य का हिस्सा है
इसके सहरीकृत दक्षिणी
भाग को सुमेर और अककद कहा जाता है बाद में इस भाग को बेबीलोनियन कहा जाने लगा ..
आपको आब कुछ समझ में
आया होगा की मेसोपोटामिया क्या है ..
इसके उत्तरी भाग को अशरिआइयो
के कब्जे होने के बाद अशरिया कहा जाने लगा
इस सभ्यता में नगरो
का निर्माण 3000 इं पूर्व होने लगा उरुक, ऊर, और मारी इसके प्रमुख नगर थे
यहाँ स्टेपी घास के
मैदान अठेया पशुपालन खेती कि तुलना में आजीविका का अच्छा साधन था अंत यहाँ कृषि
पशुपालन एवं वयापार के विभिन्न साधन थे ..
यहाँ के लोग ओजार
बनाने में कास का इस्तमाल करते थे यहाँ के उरुक नगर में स्त्री का शिर्ष मिला है
जो सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था – वर्का शीर्ष
यहाँ खाद्य – संसाधन
तो समृद्ध थे परन्तु खनिज – संसाधनों का आभाव था जिन्हें तुर्की ईरान अथवा कड़ी पर
देशो से मंगाया जाता था
आया व्यापर के लिए
परिवहन व्यवस्ता अछि थी जलमार्ग द्वारा फरात नदी व्यापर के लिए प्रसिद्ध था ...
शहरी अर्थवयवस्था में
हिसाब – किताब लेन – देन रखने के लिए यह लेखन कला का विकाश हुआ ...
. मेसोपोटामिया की
कृषि और जलवायु :-
दजला और फरत नाम की
नदिया उत्तरी पहाडियों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक़ मिटटी लती है जब इन नदियों
में बढ़ आती है अथवा इनके पानी को खेती में सिचाई के लिए ले जाया जाता है तब ये
उपजाऊ मिटटी वाह जमा हो जाती है
यहाँ का रेगिस्तान
भाग जो दक्षिण में स्तिथ है यहाँ भी कृषि की जाती है और फरात नदी जब इन रेगिस्तान
में पहुचती है तो छोटे छोटे कई धराव में बटकर नहरों जैसे सिचाई का कार्य करती है
यहाँ गेहू जो मटर और मसूर की खेती होती है ..
दक्षिण मेसोपोटामिया
की खेती सबसे ज्यादा उपज देने वाली हुआ करती थी हलाकि की वह फसल उपजाने के लिए
आवश्यक वर्षा में कुछ कमी हुआ करती थी ..
स्टेपी घास का
प्रमुख कार्य पशुपालन था यहाँ खेती के आलावा भेड़ बकरिया स्टेपी घास के मैदानों
पुरोतरी मैदान और पहाड़ो पर पाली जाती ही...
. मेसोपोटामिया के
प्राचीनतम नगर :-
इस सबयता में नगरो
का निर्माण 3000 इं पूर्व में प्रारंभ हो गया था उरुक ऊर और मारी इसके प्राचीनतम
नगर थे
यहाँ ऊर नगर में –
नियोजन पध्त्ति का आभाव था गलिय टेढ़ी मेढ़ी एवं संकरी थी जल निकास प्रणाली अछि नही
थी ऊर वाशी घर बनाते समय सकून apsakun के बारे में सोचते है
2000 इं पूर्व बाद
फरत नदी की उराव्धरा पर मरी नगर सही राजधानी के रूप में पहला फुला एवं अत्यंत व्यापारिक
पर स्तिथ था ईसके कारण ये बहुत समृद्ध और खुशहाल था यहाँ जिम्रिलियम का राजमहल
मिला है तथा एक मंदिर भी मिला ...
. लेखन कला :-
मेसोपोटामिया में जो
पहली पथिकाय पाई गयी वे लगभग 3200 इं पूर्व की है इसमें सरकंडे की तीखी नोक से
किलकार लिपि द्वारा लिखा गया है इन पाठिकाओ को धुप में सुखा लिया जाता था
. लेखन प्रणाली की
विशेषताय :-
ध्वनि के लिए
कीलाक्षर या किलकार चिन्ह का प्रोयूग किय जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नही
होता था
अलग – अलग धवानियो
के लिए अलग – अलग चिन्ह होते थे जिसके कारण लिपि सेकेंडो चिन्ह सिखने पड़ते थे
सूखने से पहले
इन्हें गीली मिटटी पर लिखना होता था
लिखने के लिए कुशल
व्यक्ति की जरूरत होती थी
इसमें भाषा – विशेष
की ध्वनिय को एक दृश्य रूप देना होता था
किलकार :-
यह लातिनी सब्द
क्युनियस जिसके अर्थ है छूती और फोरम का अर्थ है आकर से मिलकर बना है
काल गणना :-
काल गणना और गणित की
विद्यापूर्ण गणना परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी दें दी है
इस सभ्यता में लोग
गुना भाग वर्गमूल च्क्रव्रिधि व्याज आदि से परिचित थे
काल गणना के लिए यह
लोग एक बर्ष को 12 महीने 1 महीने को चार हफ्ते 1 दिन का 24 घंटे तथा 1 घंटे का 60
मिनट विभाजन किया
. मेसोपोटामिया के
शहरो के प्रकार :-
वे जो मंदिर के चारो
और विकशित हुए शहर
वे जो व्यापार के
केन्द्रों के रूप में वोक्षित हुए शहर
शाही शहर
. शहरी जीवन की
विशेषताय :-
सहरी जीवन श्रम
विभाजन होता है
विभिन्न कारण से
जुड़े लोग आपस में लेनदेन के माध्यम जुड़े होते है
. परिवहन :-
परिवन का सबसे सस्ता
और आसन साधन जलमार्ग था
. मेसोपोटामिया के
प्रमुख मंदिर :-
मेसोपोटामिया के कुछ
प्रमुख मंदिर साधारण घर जैसे थे अंतर केवल मंदिर की बहरी दीवारों के कारण था
अन्तराल के बाद भीतर और बाहर से मुड़ी हुई थी
ये कच्ची इतो से बनी
थी
इस मंदिर में
बिभिन्न पारकर के देवी देवताओ के निवाश थे जैसे ऊर जो चन्द्र देवता थे और इन्नना
जो प्रेम और युद्ध की देवी थी
. देवता पूजन :-
देवता पूजन का
केंद्र बिन्दु था
लोग देवी देवता के
लिए अन्न दही मछली लेट थे
समय आने पर उपज और
उत्पादित वस्तुओ में बदलने की प्रक्रिया जैसे तेल निकलना अनाज पिसना काटना और उनी
कपड़ो को बुनना मदिर के पास ही किया जाता था
. मेसोपोटामिया के
शासक :-
समय का यह विभाजन
सिकंदर के उतराधिकारियो द्वारा अपनाया गया और वहा से रोम तथा इस्लाम की दुनिया में
तथा बाद में मध्युगीन यूरोप में पंहुचा
गिल्गेमिश – उरुक नगर
का शासक था महान योध्हा था जिसने दूर – दूर तक प्रदेशो को अपने अधीन कर लिया था
असरीय शासक असुर
बनिपाल बेबिलोनिया से कई मिटटी पट्टिकाए मंगवाकर निनेव में एक पुस्तकालय स्थापित
किया
नेबोपोलास्टर ने 625
इं में बेबीलोनियन को असिरिआइ अधिपत्य से मुक्ति कराया था
331 इं में सिकंदर
से पराजित होने तक बेबीलोन दुनिया का एक मुख्या नगर मन रहा नेबोनिड्स स्वतंत्र
बेबीलोन का अंतिम शासक था
अगर आपको यह नोट्स
अछि लगी हो तो कमेंट करे और भी नोट्स देखे ...
very nice
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